आकाशगंगाए, हमारी आकाशगंगा की ही तरह हैं जिनमें में लगभग 100 अरब सितारे शामिल होते हैं, जो की हमारे ब्रह्मांड के निर्माण का खंड हैं। वे दो प्रमुख वर्गों में विभाजित हैं, स्पाइरल और एलिप्टिकल (अण्डाकार) । स्पाइरल में वैकल्पिक रूप से नीली दिखने वाली स्पाइरल भुजाएँ होती हैं, जिनमें बहुत सारी ठंडी गैस और धूल होती है जहाँ हर साल एक सूर्य जैसे तारे की औसत दर से नए तारे बनते हैं। दूसरी ओर, एलिप्टिकल आकाशगंगाए पीले रंग की दिखती हैं और आकृतिहीन होती हैं। यह अभी भी खगोलविदों के लिए हैरानी की बात है, कि आज हम जो अण्डाकार आकाशगंगाएँ देखते हैं, वे कई अरबों वर्षों से नए तारे क्यों नहीं बना रही हैं। इसी कारण अण्डाकार आकाशगंगाए "लाल और मृत" कहलाती हैं। अण्डाकार आकाशगंगाओं में नए सितारों के गठन को रोकने में सुपरमैसिव ब्लैक होल संभावित अपराधी हैं। ये राक्षस ब्लैक होल विशाल ज्वलनशील जेट या रेडियो-उत्सर्जक प्लाज्मा उगलते हैं और भविष्य में होने वाले तारो के निर्माण के लिए उपयोग में आने वाले ईंधन (ठंडे आणविक गैस) को नष्ट करते हैं। इस प्रकार जब हम रेडियो और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के एक्स-रे बैंड में ऑप्टिकल छवियों से परे देखते हैं तो ये लाल और मृत आकाशगंगाएं "गर्म और घटित" दिखाई देती हैं ।
नागरिक वैज्ञानिकों (Citizen Scientists) की मदद से, खगोलविदों ने एक अद्वितीय राक्षस जैसे ब्लैक होल की खोज की है जो एक अन्य आकाशगंगा में एक उग्र जेट को उगल रहा है। यह राक्षस RAD12 नामक आकाशगंगा में स्थित है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस के रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी (MNRAS) के मासिक नोटिस के पत्रों में हाल ही में RAD@home सिटीजन साइंस डिस्कवरी ऑफ ए.जी.एन स्पूइंग ए लार्ज यूनिपोलर रेडियो बबल ऑन द मर्जिंग कम्पैनियन गैलेक्सी, शीर्षक वाली यह खोज हाल ही में यूनाइटेड किंगडम के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस की रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी (एमएनआरएएस) की मासिक नोटिस में प्रकाशित हुई है ।
हालाँकि RAD12 के हैरान करने वाले पहलू को 2013 में स्लोअन डिजिटाइज्ड स्काई सर्वे (SDSS) के ऑप्टिकल डेटा और वेरी लार्ज एरे (FIRST सर्वे) के रेडियो डेटा का उपयोग करके देखा गया था, लेकिन जायंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (GMRT, भारत ) के साथ अनुवर्ती अवलोकन के बाद ही, RAD 12 की वास्तविक विदेशी प्रकृति का पता लग पाया । जी.एम.आर.टी जिन चीज़ो में अच्छा है, उनमें से एक है "ब्लैक होल पुरातत्व", जिसका अर्थ है कि जी.एम.आर.टी पुराने चुंबकीयकृत सापेक्षतावादी प्लाज्मा से सिंक्रोट्रॉन विकिरण के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील है, जिसे ब्लैक होल द्वारा खारिज कर दिया गया है क्योंकि सितारों और गैस को अभिवृद्धि डिस्क के माध्यम से खींचा जाता है।
युवा प्लाज्मा (छवि में गुलाबी हिस्सा) का एक शंक्वाकार तना केंद्र से बाहर निकलता हुआ दिखाई देता है और अण्डाकार मेजबान (होस्ट) आकाशगंगा (RAD12) के तारकीय लिफाफे से बहुत आगे तक पहुँचता है। जी.एम.आर.टी अवलोकन से पता चला कि मंद और पुराना सापेक्षतावादी प्लाज्मा केंद्र से बहुत आगे तक फैला हुआ है ।यह शंक्वाकार तना और एक मशरूम की टोपी की तरह बाहर निकलता है (छवि में लाल हिस्सा )। पूरी संरचना एक विशाल मशरूम के आकार की है, जो 440 हजार प्रकाश वर्ष लंबी है, जो कि मेज़बान (होस्ट) आकाशगंगा से बहुत बड़ी है। दक्षिण अफ्रीका में मीरकैट रेडियो टेलीस्कोप (MeeRKAT) ने मशरूम संरचना की पुष्टि की है। जी.एम.आर.टी (GMRT) छवि की तुलना में, इसने युवा (स्टेम) के क्षेत्रों को सीमित करने में मदद की बनाम पुरानी (कैप) रेडियो मशरूम की प्रकृति।
दूसरी ओर, कनाडा-फ्रांस हवाई टेलीस्कोप (CFHT) के डीप ऑप्टिकल डेटा से पता चला है कि इस राक्षस की मेजबान आकाशगंगा एक साथी आकाशगंगा के साथ गुरुत्वाकर्षण संपर्क के कारण परेशान है जो एक अधिक विशाल अंडाकार आकाशगंगा है। एस.डी.एस.एस (SDSS) के रेडशिफ्ट माप से पता चलता है कि दोनों आकाशगंगाएं 1 अरब प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। इस प्रकार CFHT और SDSS डेटा घनिष्ठ सहयोग की पुष्टि करते हैं और अगले एक अरब वर्षों में इन दो आकाशगंगाओं के विलय की भविष्यवाणी करता है।
हम अण्डाकार पर इस तरह की उग्र परस्पर क्रिया के प्रभाव को समझने के एक कदम पास आ गए हैं, जिससे हमे भविष्य में होने वाले तारों का गठन पता लगेगा, जब उनके पास थोड़ी ही ठंडी गैस बची हो। तारों के निर्माण के तुरंत फटने को भी देखा जा सकता है यदि इस तरह के जेट एक छोटी गैस-समृद्ध आकाशगंगा से टकराते हैं, जैसे कि प्रसिद्ध मिंकोव्स्की ऑब्जेक्ट। लेकिन RAD12 अब तक ज्ञात किसी भी चीज़ के विपरीत है। यह पहली बार है जब कोई जेट किसी बड़ी आकाशगंगा से टकराया है। शायद इसी वजह से जेट यू-टर्न ले रहा है और मशरूम का बुलबुला बना रहा है। यह परस्पर क्रिया युवा स्टार गठन के संकेत भी नहीं दिखाती है, संभवतः क्योंकि अण्डाकार में गैस की कमी है । (कृपया परस्पर क्रिया का एनिमेशन देखें, अंत में एक वीडियो है।)
ऐसा प्रतीत होता है कि राक्षस जेट केवल अपने पड़ोसी की ओर निकाल रहा है; लेकिन RAD12 में काउंटर-जेट का क्या हुआ? सभी मामलों में, जेट जोड़े में बहार आता है, जो सापेक्ष गति से विपरीत दिशाओं में चलते हैं। जी.एम.आर.टी और मीरकैट की संवेदनशील अवलोकन के बावजूद RAD 12 में केवल एक जेट ही क्यों दिखाई देता है, यह एक पहेली है।
RAD@home कोलैबोरेटरी कई दूरबीनों के साथ कई तरंग दैर्ध्य अभियानों में भविष्य की जांच के लिए अन्य खगोलविदों के साथ सहयोग का स्वागत करता है। इस नागरिक विज्ञान अनुसंधान कार्यक्रम में भाग लेने के लिए सहयोगात्मक न केवल पेशेवर खगोलविदों बल्कि विश्वविद्यालय स्तर की विज्ञान डिग्री वाले इच्छुक नागरिकों को भी आमंत्रित हैं। RAD12 डिस्कवरी इस बात का एक सुंदर उदाहरण है कि कैसे जनता (विशेषकर विश्वविद्यालय विज्ञान के छात्र) घर बैठे वास्तविक खगोल विज्ञान की खोज में सीधे भाग ले सकती है।
खगोलविदों की टीम का नेतृत्व डॉ. आनंद होता (यूएम-डीएई सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन बेसिक साइंसेज, मुंबई विश्वविद्यालय, भारत), डॉ प्रतीक दाभाडे (ऑब्जर्वेटोयर डी पेरिस, फ्रांस), डॉ श्रावणी वड्डी (अरेसिबो ऑब्जर्वेटरी, यूएसए) ने किया है। डॉ होता RAD@home एस्ट्रोनॉमी कोलैबोरेटरी के संस्थापक, निदेशक और प्रधान अन्वेषक हैं, जिन्होंने इस नागरिक विज्ञान (Citizen Science) की खोज को संभव बनाया (#CitizenScience #RADatHomeIndia https://radathomeindia.org/)। प्रकाशित MNRAS लेटर्स जर्नल के लिए DOI लिंक यहां है - https://doi.org/10.1093/mnrasl/slac116
डॉ होता, दाभाडे और वद्दी की टीम में भारतीय खगोलविद डॉ. चिरंजीब कोनार (एमिटी यूनिवर्सिटी), डॉ. सब्यसाची पाल (मिदनापुर सिटी कॉलेज), डॉ. ममता गुलाटी (थापर इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी), डॉ. सी.एस. स्टालिन (भारतीय इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स) और श्री सी.के. अविनाश, श्री अविनाश कुमार, सुश्री मेघा राजोरिया, सुश्री अरुंधति पुरोहित RAD@home कोलैबोरेटरी से शामिल हैं ।
संपर्क:
प्रो. आनंद होता (यूजीसी फैकल्टी, यूएम-डीएई सीईबीएस (मुंबई) और आरएडी@होम इंडिया)
डॉ प्रतीक दाभाडे (ऑब्जर्वेटोएरे डी पेरिस (कॉलेज डी फ्रांस), पेरिस, फ्रांस)
डॉ. श्रावणी वड्डी (अरेसिबो ऑब्जर्वेटरी, अरेसीबो, प्यूर्टो रिको, यूएसए)
सुश्री मेघा राजोरिया RAD@home खगोल विज्ञान सहयोगी, भारत)
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Megha Rajoria